कुछ रास्ते, कुछ मंज़िलें, एक सुहाना सफर............
ज़िन्दगी अच्छी होने चाहिए बाबूमोशाय, लम्बी नहीं।
कितनी मुशक़्क़त के बाद ,
कितने मिन्नतों के बाद ,
मिला वो साथी, वो हमसफ़र,
जिसने छु लिया दिल को अपनी मासूमियत से,
और किया वादा साथ निभाने का ज़िन्दगी में।
आज हो गए ऐ साथी हमें 7 साल,
लगा जैसे वो लम्हा बीता तो हाल फिलहाल।
चल पड़े हैं हम दोनों इस सफर में
हसीं लम्हों को समेटते संजोते हुए।
कुछ बताना था तुमको चलो आज लिख देता हूँ ,
अनकहे अलफ़ाज़ को स्याही से बयान कर लेता हूँ।
कहाँ से शुरू करूँ,क्या क्या बयान करूँ
चलो आज कुछ याद करता हूँ,
बाकी का फिर कभी के लिए रखता हूँ।
कभी लगती हो एक नन्ही सी गुड़िया ,
फिर कभी लगती हो जैसे दादी अम्मा,
वक़्त के साथ देखा तुम्हारा बेहतर इंसान बनना,
और सीखा तुमसे किसी के लिए हद्द से पार जाना।
वो फेसबुक प्रोफाइल पिक वाली हंसी आज भी याद है,
वो प्रणीता राज के चेहरे की प्यारी सी डिंपल भी याद है,
वो मेरे आने से मुझसे मिलने की जल्दी,
और मिलने के बाद घंटो चलती बातें अपनी,
दिन और रात कुछ ऐसे बीते वो,
जैसे इस दुनिया में सिर्फ हम और तुम हो।
फिर कुछ अड़चनों के बाद हुआ नया सफर शुरू,
मंज़िलों के शहर में रखा तुमने अपना पहला कदम,
लड़ते झगड़ते पहले साथी बने और थोड़े दोस्त बने,
और अब थोड़े समझदार बुद्धू हो गए हैं हम।
वक़्त यूँ निकला और साथ आया सफर में मेहमान नया,
सजदे किये थे जिसके लिए हमने रब से,
वो सफर भी कुछ मुश्किल था,
खुशनसीब हैं हम, साथ मिला हमें सभी अपनों का।
बनके अपना साथी आया कबीर अपने आंगन में,
खुशियों से भर दिया जीवन सबका उसने,
हम सब का प्यार है उस नन्ही सी जान में,
कुछ पल वो सो जाये तो लगता है कुछ खाली सा हो गया मन में।
इन सब के बीच बनी थी माँ तुम,
होता है मुश्किल एक लड़की से एक माँ का सफर
सिखाया इस सफर ने बहुत कुछ हमें,
अनमोल है माँ की ममता, तो पिता का प्यार भी होता बेजोड़ ।
चलो आज का सफर यहीं पर रोकता हूँ,
ज़िन्दगी तो वो सफर है चलते रहना है,
साथी तेरे संग गुज़ारी है ज़िन्दगी बेमिसाल,
आने वाले वक़्त में होगी ये और भी कमाल।
- तुम्हारा DINO
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